PREMIUM COLLECTION

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For Institutions:

Rs. 499/-

For Teachers & Students:

Rs. 550/-

For Individuals:

Rs. 650/-

COPYRIGHT OWNED BY:
RAJESH MEENA & KRISHNA MEENA

ISBN: 978-93-6128-001-6

एक ऐसी कहानी जो ‘लार्ड ओफ द रिंग’ और ‘हैरी पॉटर’ जैसी कहानियों के तुल्य, रहस्यमयी और रोमांचक है, परन्तु, भारतीय परिपेक्ष में…

‘नियती’ श्रंखला में, प्रथम चरण, ‘कर्मभूमि’ को इस तरह से लिखा गया है, जैसे पाठक, टी.वी. और मोबाइल स्क्रीन से दूर, अपनी कल्पनाओ के पर्दों पर, कोई, चल–चित्र देख रहे हों|
कहानी के साथ-साथ, लेखक ने, ये भी प्रयास किया है कि अपनी मातृभूमि, भारत देश के अध्यात्मिक ज्ञान का परिचय भी दें पाये|
ये कहानी, छोटे बच्चो से लेकर, बुजुर्गो तक…
सभी लोगो को रोमांचित करेगी|
आइये, आगे बढ़ते है…
कल्पनाओ के पर्दों पर, एक वेब-सीरीज देखने…

नियती का निर्धारण , नीयत करती है | अच्छी नीयत, अच्छाई की नियती का और बुरी नीयत, बुराई की नियती का | परन्तु, नियती को बदलना, असंभव है | बुराई, भले ही, बुरी नीयत वालों की भीड़ लिए, निरंतर, अपने षड्यंत्रों में लगी रहती हो, परन्तु अच्छाई, समय के गर्भ में, अपनी ताकत को छुपाए, इन्तजार करती है, उस वक्त का, जब बुराई, अपनी सीमा लांघने लगती है और जब बुराई, ऐसा करती है तो नियती, प्रकृति का संतुलन बनाये रखने के लिए, किसी अवतार के पैदा होने का, इन्तजार नहीं करती बल्कि अच्छी नीयत वाले, साधारण मनुष्यों को, विभिन्न घटनाओं से परख कर, उन्हें, महायोद्धा, बना देती है |

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